दोस्तों आज मैं आपको एक अपनी ज़िंदगी की खूबसूरत पल का एहसास आपके सामने प्रस्तुत कर रही हु, इसमें कोई बनावटी बात नहीं है, सिर्फ मैंने अपने एहसास को शव्दो के माधयम से आपको सामने ला रही हु, सभी के ज़िदगी में कुछ ऐसे पल आते है जहा रिश्तों की मर्यादा टूट जाती है, मेरे साथ भी यही हुआ मैंने रिश्तों की मर्यादा को तार तार करने में कोई कसार नहीं छोड़ी, करती भी क्या, कुछ रास्ता भी नहीं था, जवानी की दहलीज़ पे बड़ी सी बड़ी गलतियां आसानी से हो जाती है,
मैं बिहार से हु, मेरी उम्र उस समय 24 साल की थी, मैं अपने दादी के साथ रहती थी, क्यों की मेरे पापा, माँ और भाई बहन सारे जमशेदपर में रहते थे, क्यों कीaउसकी आगे मेरे से काफी छोटी थी, वो रोज मेरे घर आया करता है मेरे घर के बगल में उसका घर था, मैं खाना बनाती थी वो मेरे चूल्हे के पास ही बैठा रहता था, मैंने रेडिओ में गाना सुनती और वो गाने का विश्लेषण करता, वो मेरे से काफी हिला मिला रहता था, मैं भी उसके साथ अपनी मन की बात को शेयर किया करती थी, मैं भरपूर जवानी की दहलीज़ पे थी, मेरी चूचियाँ भी काफी बड़ी बड़ी ब्रा से बांध के रखती, पर कमबख्त जवानी छलक ही जाती थी जब मैं चूल्हे को फूक रही होती उस समय मेरी आधी चूचियाँ बहार आ जाती, और संजय मेरी चूचियों को देखकर मज़ा लेता, जब मैं मटक के आँगन में चलती तो वो मेरी चूतड़ को निहारते रहता, मुझे भी अच्छा लगता.
मेरी दादी शाम के करीब ७ बजे तक खाना खाके सो जाती थी मैं विविध भारती पे गाने सुनकर करीब ९ बजे तक सोती, एक संजय रात को करीब ८ बजे आया और बैठ के अपनी एग्जाम के बारे में बातचीत करने लगा, दादी घर के बाहर बंगले पे एक कमरा था वही सोती थी, गाँव में विजली बड़ी मुस्किल से आती थी, सार काम लालटेन से ही होता था,
हम दोनों बैठ के बात कर रहे थे, तभी जोर से आंधी चलने लगी, आँगन में पड़े सामान को मैं कमरे में रखने लगी, वो भी मेरी मदद कर रहा था और कुछ देर में बारिश होने लगी, मैं भीग गयी थी, मेरा कपड़ा मेरे बदन पे चिपक गया था उस दिन मैं ढीला ढाला सूट पहन रखा था, ब्रा भी नहीं पहनी थी, भीगने की वजह से मेरे कपडे बदन में में चिपक गए था, मेरी दोनों चूचियों साफ़ साफ़ दिखाई दे रही थी, मेरे गांड भी वैसे ही दिखाई दे रहे थे, जब मैं लालटेन की रौशनी में आती मेरा भाई संजय भूखी निगाहों से मुझे देख रहा था, मैंने देखा की उका लंड खड़ा हो रहा था उसने ट्रैक सूट पहन रखा था, मेरा भी मन डोल रहा था. पर रिश्तों की मर्यादा का भी ख्याल था, क्यों की वो मेरा चचेरा भाई था |
अचानक से संजय मुझे पीछे से पकड़ लिया, उसके दोनों हाथ मेरे चुचों पे थे, वो कह रहा था, माफ़ करना दीदी अब बर्दास्त के बाहर है, अगर मैं अपनी वासना की भूख नहीं मिटाऊंगा तो मैं पागल हो जाऊंगा, मैंने उसके दोनों हाथ को पकड़ के हटाने की कोशिश की पर वो जोर से पकड़ रखा था, मैंने कहा
संजय ये गलत बात है मैं तुम्हारी दीदी हु तुम मेरे साथ ऐसे नहीं कर सकते हमारा रिश्ता भाई बहन का है, उसपर संजय बोला, मैं आपका भाई हु और रहुगा भी हमेशा लेकिन ये किसी को भी पता नहीं चलेगा, मैं आपसे बहुत प्यार करता हु, मैं आपके साथ सेक्स करना चाहता हु, उसकी मजबूत बाहों ने मुझे भी पिघला दिया मुझे भी वो जकड़न अच्छा लगने लगा फिर मैं बड़े ही शांत स्वर में संजय से कहा, संजय पता है ये बात किसी को पता चल गया तो क्या हाल होगा, संजय ने कहा माँ कसम दीदी मैं कभी भी किसी को नहीं बताऊंगा, मैंने कहा ठीक है, पर बस एक बार ही दूंगी, पहले प्रोमिस करो, संजय ने प्रोमिस किया की एक ही बार वो मुझसे सम्भोग करेगा.
मैंने उसके तरफ घूम गयी, वो अब चूचियों को छोड़ कर मेरे बड़े बड़े चूतड़ को दोनों हाथ से दबा के अपने लंड के पास मेरे बूर को सटा लिया और धक्का मारने लगा, मैंने उसके होठ को अपने होठ से चूमना सुरु कर दी, आंधी तेज चल रही थी ठंडा मौसम में गरम एहसास हो रहा था, मेरा शरीर गरम हो चुका था, मैं संजय का लंड लेने के लिए काफी व्याकुल थी, मैं चुद जाना चाह रही था, तभी संजय ने मेरे ऊपर के गीले कपडे को उतार दिया, मेरा बड़ा बड़ा चूच उसके सामने ज्यों ही पड़ा वो बच्चो की तरह पिने लगा,
मैंने पूछा संजय क्या मिल रहा है इसमें, इसमें से तो कुछ भी नहीं निकलेगा, संजय ने कहा दीदी जब लड़की की चूची को पियों को अमृत दूध से नहीं बूर से निकलने लगती है देखो हाथ लगा के अपने बूर पे अमृत निकल रहा होगा, मैंने अपने सलवार का नाड़ा ढीला किया और बूर पे हाथ लगा के देखा तो बूर गरम हो चुका था और लस लसीला पदार्थ निकल रहा था, मैंने कहा हाँ संजय सही कर रहे हो बूर से तो अमृत निकल रहा है,
पर तुम ऊपर क्या कर रहे हो पीना है तो अमृत पियो, वो चूची को छोड़कर निचे बैठ गयी और मैंने दोनों पैर फैला दी बीच में आके मेरे बूर को चाटने लगा, मैं बैचेन होने लगी, में उसके बाल को पकड़ के उसका मुह बूर में सटाये जा रही थी, मैंने कहा बस संजय अब चोद दो मुझे पूरा कर लो अपनी हसरत, मैं तुम्हारी हु आज रात के लिए, जो मर्ज़ी कर लो मेरे साथ मैं तुम्हारी हु,
डिअर, आई लव यू माय ब्रदर, वो मुझे गोद में उठा लिया और पलंग पे लिटा दिया, मेरे बूर में खुजली हो रही थी, लग रहा था, जल्दी से लंड का मज़ा ले लू, तभी संजय मेरे पैर के पास बैठ गया और मेरे दोनों पैर को फैला दी और अपना लंड को बूर के ऊपर से गांड के छेद तक सटाया ऐसा उसने चार पांच बार किया मैं तो उसकी लंड की रगड़न से काफी परेशान हो रही थी, और उसने वो कर दिया जिसका मुझे इंतज़ार था,
पूरा की पूरा लंड मेरे बूर में पेल दिया मैं दर्द से कराह रही थी, उसका लंड मेरे बूर में सेट हो चुका था, मेरे आँख में आंसू आ गए थे क्यों की ये मेरी पहली चुदाई थी, वो फिर धीरे धीरे निकाला और फिर से एक झटका दिया, मैंने तो पहले समझ रही थी उसका लंड पूरा चला गया पर मैं गलत थी उसका लंड आधा ही अंदर गया था, अब दो इंच और गया तीसरे झटके में पूरा लंड मेरे बूर से होते हुए पेट तक जा रहा था, दर्द का एहसास हो रहा था पर ये एहसास अच्छा था, फिर वो मुझे जोर जोर से चोदने लगा, मैंने भी गांड उठा उठा के चुदवा रही थी, वो फिर कई तरह से मुझे चोदा मैंने पूछा संजय तुम्हरे इतने सारे पोज कैसे आता था, तो वो बोला हमलोग एडल्ट मूवी देखते है इसलिए मुझे पता है चुदाई का पोजीशन.
रात भर चोदने के बाद मेरा बूर सूज गया था दर्द के मारे चला नहीं जा रहा था सुबह के करीब चार बजे संजय वापस अपने बंगले में सोने चला गया और मैं भी सो गयी, उस रात का चुदाई का एहसास गजब का था, इस साल मेरी शादी होने बाली है देखो उतना मज़ा मिलता है की नहीं जितना संजय ने दिया था, वो अपनी प्रोमिस को नहीं निभा पाया वो मुझे कई बार चोदा जब भी उसका मन किया, मुझे भी लग रहा था ये गलत प्रोमिस मैंने करवाया था उसके साथ क्यों की मुझे भी अपने भाई से चुदना अच्छा लगता था,