Suhagraat Chudai :नयी नवेली दुल्हन के द्वारा

(Suhagraat Chudai :nayi naveli dulahan ke dwar)

Suhagraat Chudai

मेरी शादी ७ दिन पहले हुई, मैं चाहती हु की जो लड़कियां दुल्हन बनने जा रही है उसका भी एक मेरे अनुभव से प्रेरणा मिला और दुल्हन क्या चाहती है अपने पति से वो भी एक लड़के को पता चले यानी की मेरा अनुभव दोनों के के लिए है.

मुझे कोई कहनी लिखने का शौक नहीं है बस मैं अपना अनुभव आपसे शेयर करना चाह रही हम मेरा नाम स्मिता है और मैं २० साल की पढ़ी लिखी लड़की हु, मेरी शादी अरेंज्ड मैरिज है, पापा मम्मी के पसंद से मैंने शादी की है, मैं सुहागरात में जैसे ही कमरे में गयी मेरे पति ने मुझे एक पैकेट दिया और कहा मैंने तुम्हारे लिए बड़े प्यार से ख़रीदा है तुम इसे पहन कर आओ, मैं बाथरूम में गयी और उस पैकेट को खोला देखा की उसमे पिंक कलर के मॉडर्न ब्रा और पेंटी है, मैं जरा भी नहीं झिझकी और पहन कर मैं आई अपने हस्बैंड के पास, उन्होंने जब मुझे देखा तो देखते ही रह गए मुझे ऐसा लगा की अगर मैं घुघट ले कर रहती तो शायद मुझे इस तरह से देखते भी नहीं पर ये आईडिया उनके लिए और मेरे लिए दोनों के लिए सुखद था.

ब्रा और पेंटी पारदर्शी था आसानी में मेरे अंग दिख रहे थे और मेरे पति मुझे आँखे फाड फाड कर देख रहे थे, वो थोड़ा मेरे नज़दीक आये और मेरे गुलाबी होठ पे किश कर लिया ये मेरे ज़िंदगी का पहला किश था किसी पुरुष का, वो मुझे बेड पे लिटाकर मेरे ब्रेस्ट को ब्रा के ऊपर से किश करने लगे, मैंने अपने ब्रा का हुक पीछे से खोल दिया ताकि वो आसानी से ब्रा के ऊपर से नहीं निचे से उनको एक्सेस मिल जाये,

पर वो फिर मेरे लिप को किश किया फिर गर्दन को फिर कंधे को फिर मेरे दोनों बगल को हाथ ऊपर कर के फिर वो मेरे बूब की निप्पल को जीभ सटाकर वो जितना भी उनके मुह में मेरा बूब जा सकता था उतना वो अंदर करने लगे दोनों बूब को इस तरह से करने लगे, करीब १५ मिनट के बाद वो मेरे नाभि को किश किया और मेरे पेंटी को स्किप करते हुयी मेरे पैर के अंगूठे के पास चले गयी और बारी बारी से दोनों अंगूठो को अपने मुह में लेने लगे, फिर वो ऊपर बढ़ने लगे मेरी सेक्सी जांघ को टच करते हुए वो पेंटी के बीच में पहुँच कर एक गहरी सांस लिया और अपने दोनों हाथ से मेरे स्तन को पकड़ लिए, फिर वो जीभ सटाये हुए फिर पेंटी तक आये और पेंटी को रोल करते हुए वो धीरे धीरे वो पैर से निकाल दिए, मैं उस पल का आनंद ले रही थी ऐसा लग रहा था मैं जन्नत में हु मेरा शरीर हल्का हो गया था ऐसा फील हो रहा था मैंने हवा मु उड़ रही हु,

फिर वो मेरे चूत को अपने जीभ से सहलाने लगे और और जीभ जितना भी अंदर जा सकता था वो उतना जीभ को कड़ा कर के अंदर देने की कोशिश कर रहे था, मेरे तन बदन में आग लग चुकी थी, अंगड़ाईयाँ ले रही थी हाथ पैर में अजीव सा एहसास हो रहा था आंके मेरी आधी बंद हो रही थी, और मुह से एक अजीब से आवाज आज पहली बार आ रही थी,

फिर वो कम्पलीट मेरे ऊपर आ गयी मैंने एक हार्ड रॉक महसूस किया वो मेरे पति का लंड था वो करीब ८ इंच बड़ा था, वो धीरे धीरे मेरे चूत के ऊपर अपने लंड को रखकर धीरे धीरे अंदर करने लगे, वो दर्द में भी मुझे ख़ुशी का एहसास हो रहा था, वो धीरे धीरे अंदर बाहर करने लगे मैं उस पल का काफी एन्जॉय कर रही थी, शायद इस दुनिया में इससे बढ़कर कोई अच्छी चीज़ नहीं है, मैं ये नहीं कह सकती ये कितना देर चला पर जितना देर चला वो कबीले तारीफ था, अब मैं शाम को रोज उनके ऑफिस से आने का इंतज़ार करती हु और रात में मैं सारे कपडे उतार के ही उनके पास आती हु, आशा करती हु की आपको मेरे अनुभव अच्छा लगा होगा,

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