नीरजा देहरादून के एक गांव में रहती थी। वो जात से ब्राह्मण थी। जब वो 18 साल ही हसीना हुई तो सतीश से उनका प्यार हो गया। सतीश उसी के गांव में ही रहता था। वो बांस की टोकरी, सीढ़ी, अलमारी वगैरह बनाता था। एक दिन उसने नीरजा को बॉस के जंगल में बुलाया। वही उसकी सील तोड़ के उसके कुंवारेपन को खत्म किया।
वैसे नीरजा खोई खास गोरी नही थी। नाक में सोने की कील और कान में छोटे छोटे टॉप्स पहनती थी। पर रंग काला होने पर भी चेहरे में बड़ी छप थी। चेहरा मोहरा ऐसा था कि कोई जवान लड़का उसे।देख लेता था तो।देखता रह जाता था। इस तरह नीरज बहुत गोरी ना होते हुए भी सुंदर नैन नक्स वाली थी।
उस रात सतीश ने उसे बांस वाले जंगल में बुलाकर जम कर चोदा। नीरजा का प्रेम प्रसंग कुल 3 साल चला। एक दिन बात खुल गयी। नीरजा के बाप जो गांव के मंदिर के पुजारी थे गड़ासा लेकर नीरजा को जान से मारने दौड़े। अब नीरजा और सतीश के सामने भाग जाने के सिवा कोई रास्ता नही थी। दोनों देहरादून रेलवे स्टेशन आ गए और जो ट्रैन मिली पकड़ ली।
नीरजा को अपने प्यार सतीश पर बड़ा विस्वास था। उसने दुनिया से बगावत करके ये कदम उठाया था। वो अपने माँ बाप , गांव रिस्तेदार सब कुछ छोड़ने को तैयार थी पर सतीश को नही। दोनों जिस ट्रैन पर सवार थे वो क्लकत्ता आकर रुकी। दोनों एक इलाके में चले गए। सत्तीश गांव की और जवान लड़कियों को भी चोदता खाता रहता था। इसके बावजूद भी नीरजा ने सत्तीश से प्यार किया था।
वो जानती थी की दुनिया में हर कोई उसे धोका दे सकता है, पर सत्तीश नही। कलकत्ता में सत्तीश उसे अपने दोस्त के घर ले गया। ये बड़ी सी बिल्डिंग थी। ऊपर ढेर सारी लड़कियां साडी पहनकर, लिपस्टिक लगाकर खड़ी थी। नीरजा को थोड़ा अजीब लगा। जैसे ही वो बिल्डिंग के अंदर गयी, ढेरो मर्द उसे आते जाते दिखाई दिए। कोई पान थूक रहा था, कोई सिगरेट के छल्ले उड़ा रहा था।
सत्तीश उसे लेकर एक तंग कमरे में पंहुचा। बड़ा गंदा और तंग कमरा था। कहीं कोई खिड़की नही। बस एक पिला बल्ब और एक पंख।
तू थक गयी होगी। यही रुक ! मैं तेरे लिए कुछ खाने को ले आता हूँ! सतीश ने बैग एक ओर रखा और नीरजा से कहा।
भोली भाली नीरजा ने सर हिला दिया। आधे घण्टे बीत गए पर सत्तीश नही लौटा। नीरजा को थोड़ी चिंता होने लगी।
आधे घण्टे बाद एक भरी भरकम आदमी ने दरवाजा पीटा। दरवाजा खोलते ही जबरन वो अंदर घुस आया। उसने नीरजा को घूरकर ऊपर ने नीचे देखा। फिर दरवाजा बंद कर लिया।
नीरजा कुछ समझ पाती इससे पहले उसने उसे जोर का धक्का दिया और तखत पर धकेल दिया। नीरजा बिस्तर पर गिर गयी।
मॉल तो अच्छा है!।फ्रेश लगता है!!।वो बंगाली आदमी बोला, ये कहानी आप नॉनवेज स्टोरी डॉट कॉम पे पढ़ रहे है
उसने नीरजा को कन्धों से पकड़ लिया। नीरजा ने हरे रंग का सलवार सूट पहन रखा था। उस बंगाली आदमी से दुपट्टा खिंच कर एक ओर फेक दिया। और नीरजा के मम्मे दबाने लगा। नीरज ने हाथ पैर चलाना सुरु किया पर उस बंगाली आदमी की पकड़ बहुत मजबूत दी। उसने नीरजा को 5 6 छप्पड़ जोर से मारे। नीरजा सन्न सी हो गयी। उस बंगाली से एक सेकंड में ही नीरजा का नारा तोड़ दिया। 2 मिनट में उसे नन्गा कर दिया और करीब डेढ़ घण्टे तक खूब उसकी चूत मारी।
नीरजा के लिए ये सब बलात्कर था। वो सदमे में आ गयी और बेहोश हो गयी। नीरजा की घण्टो चोदने के बाद उन बंगाली ने अपने कपड़े पहन लिए , बाहर निकला और बाहर ने खुंडी लगा दी। अगले दिन नीरजा को होश आया। वो जागी तो देखा की वो बिलकुल नंगी थी। उसकी चिकनी चूत में अभी भी दर्द हो रहा था। फिर उसे वो आदमी याद आया। नीरजा जोर जोर से रोने लगी।
कोई है? दरवाजा खोलो! मुझसे घर जाना है!! मुझसे घर जाना है!! नीरज दरवाजा पीटने लगी।
काफी।देर बाद एक औरत जो की पान चबा रही थी और बड़ी बदसूरत थी वहां आयी और दरवाजा खोला।
सत्तीश कहाँ है?? मुझे सत्तीश से मिलना है! नीरजा चिल्लाने लगी। वो फुट फुटकर रोने लगी।
हाय हाय छोकरी! तेरा आशिक़ तुझे बेच गया! ये कोठा है कोठा! यहाँ तो जिस्म की नीलामी होती है। तेरा आशिक़ तुझे पुरे 2 लाख में बेच गया! उस औरत ने कहा। नीरजा के पैरों तले जमीन खिसक गई। बाप रे! इतना बड़ा धोका। जिसके लिए उसने सारी दुनिया छोड़ी उसने उसे कोठे पर बेच दिया।
कुछ देर के लिए तो नीरजा जैसे कोमा में चली गयी। उसे गहरा सदमा लगा। एक बार फिर से वो बेहोश हो गयी। रन्दीखाने की मालकिन उस औरत से डॉक्टर को बुलवाया। 8 घण्टों बाद नीरजा को होश आया। उसे गहरा सदमा लगा था। वो सोचने लगी की अगर उसके पास जहर होता तो अभी खा लेती। 5 6 दिन में वो नार्मल हो पाई।
देख।छोकरी! मैंने तुझे पुरे 2 लाख में खरीदा था। इसलिए जब तक मैं तुझसे 8 10 लाख नही कमा लेती तू यहाँ से नही जा सकती! रन्दीखाने की मालकिन बोली
कल से तुझे धंधा करना है!! तैयार हो जा!! मालकिन चिल्लकर बोली
कहीं नीरज भाग ना जाए इसलिए उसे हमेशा कमरे में बंद कर दिया जाता था। वो बहुत रोइ चिल्लाई पर उसे मौत ना आई। जो खाना बाकी रंडियों को मिलता था उसे भी दिया जाता। आखिर वो दिन आ गया जब उसे धंधा करना था। मालकिन ने अपनी खास रंडियों को जो बाकी रंडियों को सुपरवाइज करती थी नीरजा के पास भेजा। और जबर्दस्ती उसे साड़ी पहनकर चटक लाल लिपस्टिक लगा दी।
जैसे की शाम के 6 बजे कस्टमर रंडिया चोदने आने लगे। सुपरवाइजर रंडियों ने नीरजा को बाहर लाइन में खड़ा कर दिया। सारे कस्टमर 10 12 रंडियों में से लड़की पसंद करते थे, कॉउंटर पर पैसा जमा करते थे फिर अंदर कमरे में जाकर चोदते थे। चुदाई का दाम था 200, सूंदर लड़की का 300
अरे देख नया मॉल आया है!! एकदम कड़क मॉल है!! नीरजा नाम है इसका! मालकिन से एक कस्टमर को नीरजा को दिखाया। कस्टमर को वो एक ही नजर।में पसंद आ गयी।
उसने पैसा काउंटर पर जमा कर।दिया। नीरजा को।लेकर कमरे में जाने लगा। नीरजा विरोध् करने लगी। तुरंत मालकिन है और उसने 4 5 छप्पड़ बिजली की रफ्तार से जड़ दिए।
तुझे मैंने प्यार से समझाया ना! तुझको 2 लाख में ख़रीदा है! अब जब तक मैं तुझसे 8 10 लाख नही कमा लेती , तुझे।धंधा करना पड़ेगा! मालकिन ऊँगली उठाकर आँख दिखाकर बोली। कस्टमर नीरजा को कमरे में ले गया।
उसे नन्गा किया , कंडोम पहना और खूब पेला नीरजा को। नीरजा रोटी रही और कस्टमर उसे चोदता रहा। 20 मिनट बाद उसे फिरसे लाइन में दिखाने के लिए सुपरवाइजर रंडियों ने खड़ा कर दिया। एक कस्टमर ने फिर उसे पसंद किया। फिर वो अंदर आयी और फिर कस्टमर ने उसे जमकर।चोदा। सायद वो दिन नीरजा की जिंदगी का सबसे बुरा दिन था। 20 कस्टमर के साथ नीरजा बैठी थी। रंडीबाजी में एक रंडी जितने कस्टमर से चुदवाती है उसे कहते है वो उतने कस्टमर के साथ बैठी।
मालकिन ने नीरजा से आज 5 हजार से ज्यादा कमाये। कुछ कस्टमर 200 पर राजी हुए कुछ 300 पर। रात के 2 बजे चकलाघर बन्द हुआ। सभी रंडियों ने खाना खाया पर नीरजा ने एक निवाला भी ना तोडा। उसे अपनी फूटी किस्मत पर यकीन नही हो रहा था। ये सब बुरी घटना किसी बुरे सपने से कम ना थी। कहाँ नीरजा सत्तीश के साथ शादी करके सुखद जीवन की कामना कर रही थी और कहाँ आज वो 20 20 कस्टमर से रोजाना चुदती थी।
हर कस्टमर उसे नंगा करके उसके जिस्म को नोचता था। कोई कोई कस्टमर तो गोलियां खाकर आते थे। चोद चोदकर चूत का चबूतरा बना देते थे। ये सब नीरजा के लिए मरने से ज्यादा बुरा था। रिकसेवाले, मजदूर, तो कच्ची पीकर आते थे। उनके मुंह से बहुत बदबू आती थी पर फिर भी नीरजा को चुदवाना पड़ता था। 20 दिन धंधा करने के बाद नीरजा चुदवाने की आदी हो गयी। अब उसे कुछ पता नही चलता था कि वो 20 के साथ बैठी या 30 के साथ। नीरजा को पूरे एक साल इस रन्दीखाने में रहना था। जब जाकर मालकिन उससे 8 लाख कमा पाती।
अब नीरजा एक प्रोफेशनल रंडी बन गयी। वो कस्टमर को हँस कर पटाने लगती। कस्टमर पटा कर उसके पैसे कॉउंटर पर जमा कराती। उसे अंदर ले जाती और जमकर चुदवाती। कुछ कस्टमर को वो बिस्तर पर लेटा देती। खुद उनके लौड़े पर बैठ जाती और गाड़ भीच कर खूब कस्टमर को चोदती। गाड़ भिचने से लगता कि कस्टमर किसी नई रंडी को चोद रहा है। कई कस्टमर गैंग बैंग करना चाहते तो नीरजा तैयार हो जाती और ऊँचे रेट बताती। ऐसे कस्टमर 5 से 10 हजार रुपए एक दो घण्टों के लिए देते। वो अपने 3 4 साथियों के साथ आते और मिलकर किसी रंडी को चोदना खाना चाहते।
नीरजा उनको अंदर ले जाती। ऐसे गैंग बैंग बड़े विकराल चोदूँ होते जो घण्टो घण्टो तक पेलने का दम खम रखते। 10 हजार रुपए जैसी मोती रकम लेने के बाद सब कुछ उनकी मर्जी से ही करना पड़ता। ऐसे कस्टमर 4 5 दोस्तों के साथ आते। सब के सब नंगे हो जाते और बारी बारी से नीरजा से अपना लण्ड चुस्वाते। फिर एक कस्टमर नीरजा को नन्गा बिस्तर पर लेटा देता और चोदना सुरु कर देता। जबकि दूसरा उसका दोस्त नीरजा के मुँह में अपना लण्ड दे देता। तीसरा दोस्त नीरजा के हाथ में अपना लण्ड पकड़ा देता।
नीरजा अपने गुलाबी ओंठों से जल्दी जल्दी ऊपर नीचे करके लण्ड चुस्ती, जबकि जिसका लण्ड हाथ में होता उसका मुठ मारती, और साथ में नीचे।से दनादन चुदवाती रहती। इस तरह के ग्रुप सेक्स में नीरजा को घण्टों बिना रुके चुदना पड़ता था। इसमें मजा भी खूब मिलता था उसे। एक ही समय में किसी मर्द का लण्ड चूसते चूसते दूसरे मर्द से चुदवाने का मजा ही हटकर था। साथ ही जब सब मिलकर नीरजा को चोदते खाते थे तो इसमें भंडारे जैसा सुख मिलता था।
एक साल तक कलकत्ता के उस रन्दीखाने में धंधा करने के बाद नीरजा को एक कस्टमर से मोहब्बत हो गयी। वो कोई सुन्दर नाम का आदमी था जो कोई सरकारी नौकरी करता था। वो नीरजा के लिए।रसोगुल्ला और पान लेकर आता था। ये दूसरी बार था जब नीरजा ने फिर से किसी आदमी से प्यार किया था। मालकिन के 8 लाख वसूल होने के बाद मालकिन को उस पर तरस आ गया। उसने उसे जाने दिया।
नीरजा ने सुंदर से शादी कर ली। सुन्दर उसे बहुत प्यार करता था। नीरजा को लगा अब उसके दुःख के दिन बीत गए है। सुरु सुरु में सब कुछ ठीक चला। पर सुंदर में एक ऐब था। वो पिता था। 2 सालों बाद सुन्दर कुछ ज्यादा ही पिने लगा। सारी तन्खा शराब में खर्च कर देता। नीरजा उसे दोपहर को खाना देने जाती थी। सूंदर के बॉस हीरालाल जी थे जो सरकारी अधिकारी थे। नीरजा उनको जरूर नमस्ते करती थी। वो नीरजा से बड़े प्यार से बोलते थे।
धीरे धीरे सुन्दर ने अपने बॉस हीरालाल से काफी उधारी ले ली। नीरजा को इस बारे में कुछ नही पता चला। हीरालाल ने जब अपना पैसा माँगा तो सूंदर नही चूका पाया। हीरालाल से उसे कान में कुछ उपाय बताया। सुबह होते ही सुंदर ने बताया कि उसके बॉस हीरालाल ने आज दोनों को दावत पर बुलाया है। नीरजा ने बैंगनी रंग की चटक साडी पहनी। पायल चूड़ियां पहनी सारा मेक अप किया।
दोनों हाथ रिक्सा पर बैठ हीरालाल के घर पर पहुँच गये। हीरालाल ने दरवाजा खोला और बड़ी जोश से दोनों का स्वागत किया। नीरजा और उसका पति सूंदर मुलायम सोफे पर बैठे।
सूंदर! क्या लोगे भाई व्हिस्की या रम?? हीरालाल बोला
व्हिस्की! सूंदर बोला
नीरजा तुम क्या पियोगी?? हीरालाल ने बड़ी जोश से पूछा।
नही हीरालाल जी, मैं नही पीती! नीरजा ने कहा
अरे ये क्या बात हुई?? आज पहली बार मेरे घर पर आयी हो। अच्छा ठीक है तुम्हारे लिए कोलड्रिंक लाता हूँ हीरालाल बोले।
अंदर से कोकाकोला की बोतल ले आये और ग्लास में डालकर नीरजा दो दे दी। हीरालाल और सुंदर शराब पीने लगे और नीरजा कोल्डड्रिंक। 10 मिनट में ही उसका सिर घूमने लगा। वो बेहोश सी होने लगी। नीरजा की आँखों के सामने सब धुंधला होने लगा। हीरालाल ने इशारा किया। सूंदर कमरे से बाहर चला गया। हीरालाल ने दरवाजा बन्द कर दिया।
अरे मेरी गुलबहार!! जरा अपने रूप का रस।तो पिला।दे! हीरालाल ने आधे होस में आ चुकी नीरजा को सोफे पर लिटा दिया।
उसके ब्लाऊज़ के बटन खोलने लगे। नीरजा सब कुछ देख रही थी पर कुछ नही कर पा रही थी। हीरालाल से उसे ड्रग्स दे दी थी। नीरजा का बदन सुन्न हो गया था। हीरालाल उसकी इज़्ज़त लूटने जा रहा था नीरजा साफ देख रही थी पर उसका शरीर ना हिलता था।
तेरे मर्द को मैंने 50 हजार कर्ज दिया था। वो चूका नही पाया इसलिए अब 50 हज्जार तुझसे वसुलूंगा!! हीरालाल कुटिल हँसी हँसकर बोले
नीरजा के ब्लाऊज़ और ब्रा उतारने के बाद हीरालाल उसके लाल लाल छतियों का रसपान करने लगे। खूब गहराई से नीरजा की जूसी छातियां पिने लगे। नीरजा सब कुछ अपनी आँखों से देख रही थी पर उसका हाथ तक ना हिल रहा था। हीरालाल ने जी भरके नीरजा की जूसी छतियों को पिया। फिर नीरजा की साड़ी निकाल दी। फिर पेटीकोट और पैंटी भी उतार दी। कुछ देर नीरजा की चिकनी चमेली उसकी चूत को चाटते रहे। फिर उनसे रहा ना गया। नीरजा के छेद में ऊँगली करने लगे। फिर उसे चोदने लगे। नीरजा सोई नही थी, उसकी आँख खुली थी।
पर उसके शरीर का एक अंग भी नही हिलता था। सूंदर के बॉस हीरालाल ने कई घण्टों तक नीरजा का चोदन किया। बीच बीच में शराब के घूँट पीते रहे और नीरजा की चूत मारते रहे। फिर वो और ठरकी हो गए। ऊन्होने थोड़ी व्हिस्की नीरजा की गाड़ पर लगा दी और लण्ड रखकर जोर का धक्का मारा। लण्ड।सीधा गाड़ में घुस गया। और हीरालाल मजे से नीरजा की गाण्ड चोदने लगे। ये कहानी आप नॉनवेज स्टोरी डॉट कॉम पे पढ़ रहे है
शाम को सुंदर नीरजा को रिक्शा में बैठकर और।अपने बॉस से सारा दिन चुद्वाकर घर ले आया। रात भर नीरजा अपनी फूटी किस्मत पर रोने।लगे। पहले आशिक़ ने उसे कोठे पर बेचकर रंडी बना दिया, दूसरे आशिक़ से बॉस से उसे चुदवाकर रखेल बना दिया। उसके बाद सुन्दर को जब शराब पीनी होती, हीरालाल से उधार मांग लेता। और बदले में नीरजा को उनके घर लाकर जबरन चुदवा देता। नीरजा ने अब अपनी फूटी किस्मत से समझौता कर लिया था। जब सूंदर उससे हीरालाल के घर कहने को कहता वो चुप चाप साड़ी पहन तैयार हो जाती और चुदवा लेती। अब वो विरोध नही करती।