Bahen ki chudai:
दोस्तों आज मैं आपको बड़ी ही रसीली चुदाई की कहानी लिखने जा रहा हु, आशा करता हु की आपको बहूत ही ज्यादा मजा आएगा, ये कहानी मेरी १००% सच है, आज मैं आपको अपनी ये कहानी शेयर करने जा रहा हु, आज तक मैं ये कहानी को अपने तक ही सिमित रखा था पर आज मैं सेक्सी हिन्दी स्टोरी के दोस्तों के साथ भी शेयर कर रहा हु,
ये सिलसिला कहा से शुरू हुआ उसके बारे में पहले बता रहा हु, पहले मैं अपने दीदी के साथ सोया करता था, माँ पापा एक कमरे में और मैं और दीदी एक कमरे में, मैं रात में जब सो जाता था तो मेरी दीदी मेरा छोटा सा लंड पकड़ पर सहलाते रहती थी, एक दिन मेरी नींद खुल गई तो मैंने देखा दीदी मेरे लंड को पकड़ कर सहला रही थी, मैंने उस दिन कुछ भी नहीं बोला और फिर थोड़े देर तक वो आह आह आह कर कर सो गई और मैंने भी थोड़े देर बाद सो गया, दूसरे दिन मैं जगा रहा, दीदी ने मेरी फिर से लंड निकली और फिर हिलाने लगी. उस दिन मैं जगा था तो लंड बड़ा हो गया, उसके बाद उसने ऊपर के सारे कपडे उतार दिए, और मेरे हाथ को अपने चूचियों पे रख कर खुद ही मसलबाने लगी. मुझे बहूत ही अच्छा लगने लगा, मैंने अब हौले हौले खुद भी मसलने लगा. दोस्तों तब रोज रात को वो मेरे लंड से खेलती और मैंने उनकी चूचियों से खेलता, वो भरपूर जवानी में थी, उसके बाद बात थोड़ी और बढ़ी वो अब अपने चूचियों के निप्पल के मेरे मुह में देती और मैं खूब अछि तरह से रोज रोज पीता, चूचियों से कुछ निकलता तो नहीं पर मेरा लंड से कुछ कुछ निकलने लगा. और मुझे बहूत ही बढ़िया लगता और दीदी फिर अपने चूत में शायद ऊँगली डालती और जोर जोर से पलंग मेरा हिलने लगता और वो फिर शांत हो जाती और फिर सो जाती. यही सिलसिला चलता रहा, पर मैं दूध पिने से आगे नहीं गया.
कुछ ही दिनों बाद मेरी दीदी की शादी हो गई और वो अपने ससुराल चली गई. एक दो बार वहा गया पर नोर्मल्ली मैं कुछ ही दिनों में वापस आ गया. फिर मैं पढाई के लिए दिल्ली चला गया और काफी ज्यादा संपर्क टूट गया, मैं जब दिल्ली आया तो यहाँ के लड़कियों के बूब्स को देखता तो मेरा मन मचल उठता और फिर मेरी दीदी याद आने लगती. वो पुरानी बातें याद आने लगी और मेरा लंड खड़ा होने लगा, मुझे लगा की अगर मैं फिर से पहल करूँ तो वो पुरानी चीजें फिर से हो सकती है वापस आ जाये और मुझे फिर से बहन के साथ वैसा ही रोमांस का मौक़ा मिल जाये, मैंने ये बात बस रक्षा बंधन के दस दिन पहले ही सोचा था और मैंने तुरंत ही माँ को फ़ोन किया की मैं इस बार राखी बँधबाने बहन के यहाँ जाऊंगा. और प्लान बना लिया वह जाने का.
मैंने आपको बता दू, की मेरे जीजाजी एक नंबर के अय्याश इंसान है, वो एक और शादी कर ली, जो नई बाली है, वो थोड़ा ज्यादा हॉट है तो वो दीदी के तरफ ध्यान कम देते है, और फिर जहा दो हो तो आप समझ ही सकते है. मैं थोड़ा समझदार हो गया इस वजह से अब मुझे पता चलने लगा की दीदी पर क्या गुजरती होगी. राखी के दिन उन्होंने मुझे राखी बाँधा, मैंने उनको गिफ्ट भी दिए, जीजाजी और उनकी दूसरी बाली हसीना शिमला घूमने गए, दीदी को तो जलन होगा ही की सौतन मजे लेने जा रही है और वो घर पर है. मुझे भी ख़राब लग रहा था क्यों की दीदी खुश नहीं थी, पर मुझे इस बात की ख़ुशी थी की दीदी अकेली थी. और मैं उनके साथ था. रात को मैं दीदी दोनों खाना खाये और बात करने लगे, वो मेरे बारे में पूछने लगी, की तू फ़ोन नहीं करता है, मैंने कहा दीदी मैं एग्जाम की तैयारी कर रहा हु, इस वजह से मैं कॉल नहीं कर पा रहा था.
दीदी कहने लगी जानते हो पहले का ही लाइफ अच्छा था, जब हम वह थे सब कुछ बहूत अच्छा था पर यहाँ आकर मेरी ज़िन्दगी ख़राब हो गई, कितना मस्ती करते थे, हमलोग याद करो, वो अपने पुराने दिन, मैंने कहा दीदी जीजाजी दूसरी शादी क्यों कर लिए है, तो वो कहने लगी की तुम्हारे जीजाजी बूर चट है, मैंने कहा बूर चट? बोली हां उसको एक से मन नहीं भरता है इसलिए और भी चाहिए, बता तू ही पता मुझमे क्या कमी है, मेरे में क्या नहीं है जो उस चुड़ैल पे पास है, मैं कहा दीदी आप तो बहूत हॉट हो, पर जीजाजी को दिखाई नहीं देता है, तब दीदी बोली भाई मैं अपने घर में ही खुश थी मम्मी पापा और तुम्हारे साथ. मैंने हिम्मत कर के सोचा की पुरानी बात बताई जाये, मैंने धीरे धीरे बात छेड़ दिया, दीदी हम दोनों साथ सोते थे कितना मजा आता था? याद है आपको, दीदी सर झुक ली, बोली हां याद है, वो भूलती नहीं बस उसी को याद करके तो ज़िंदगी काट रही हु.
मैंने कहा आप चाहो तो जब तब जीजा जी नहीं आते है कुछ दिन के लिए पुरानी ज़िन्दगी के मजे ले सकते है, दीदी बोली जीजाजी तो अभी साथ दिन बाद आएंगे, वो कमीनी जब साथ है तो फिर और किस चीज की कमी है उन्हें, मैंने कहा दीदी अभी गुसा करने का दिन नहीं है, आज प्यार का दिन है ऐसे भी रक्षाबंधन है, भाई बहन का प्यार का दिन, आज थोड़ा हम दोनों आगे बढ़ जाते है, और दीदी बोली लव यू माय डिअर, मैंने भी लव यू माय जान कहा और हम दोनों एक दूसरे के गले लग गए, दोस्तों दो जवान और तनहा जिस्म अगर एक दूसरे में चिपके तो आप समझ सकते है की क्या हाल होता होगा, मैं तो दूसरी दुनिया की सैर करने लगा, धीरे धीरे उनकी बूब्स की गर्माहट को मैं अपने सीने पे महसूस करने लगा, धीरे धीरे हम दोनों के होठ एक दूसरे के होठ को चूमने लगे, दीदी बोली रूक जा मैं बाहर के सारे दरवाजे और खिड़की बंद कर के आती हु, और वो कुछ देर के लिए बाहर गई और सारे दरवाजे और खिड़की बंद कर दी, जब वो आई तब तक मैं सिर्फ जांघिया पर आ गया था और मेरा लंड जांघिया के अंदर तंबू बना चूका था, वो अंदर आते ही मेरे जवान शरीर को देखि फिर वो तंबू को देखि, फिर बोली भाई तू तो गजब का हॉट हो गया है, पहले तो मैं सब कुछ देख चुकी हु पर अब तो बात कुछ और ही है. और दीदी तुरंत मेरा जांधिया को निचे कर दी.
वो तुरंत ही लंड को पकड़ ली, और बोली मैंने इसे काफी मिस किया, आई लव, और वो चूसने लगी, मैंने भी काफी दिन बाद चुसवा रहा था तो मेरे शरीर में सिहरन हो रही थी, और फिर मैंने दीदी को उठाया और उनके एक एक कर के सारे कपडे उतार दिए, और उनको बेड पर लिटा दिया, वही सब कुछ, वैसा ही सब कुछ, चूचियां थोड़ी और बड़ी हो गई थी और शरीर थोड़ा गदरा गया था, गजब की लग रही थी, मैंने आब देखा ना ताब और मैं सीधे उनके चूत को चाटने लगा, दीदी बोली आज तू मुझे खुश कर दे, और मैंने कहा आज क्या अभी सात दिन तक मैं आपको खुश करूँगा, और मैंने जीभ उनके चूत पे डाल कर चाटने लगा. दोस्तों पहली बार मैंने चूत का रस चखा था. गजब का नमकीन एहसास था, फिर दीदी बोली भाई आज मुझे चोद दे, आज मैं तृप्त होना चाहती हु, आज मुझे इतना चोद की आने बाले दो तीन साल तक लंड की जरूरत ना पड़े, मैंने कहा दीदी अब चिंता नहीं करो मैं हु ना तुम्हे दो तीन साल इंतज़ार नहीं करना पड़ेगा.
और मैंने फिर लंड को उनके चूत पे सेट किया और जोर से घुसा दिया, मैंने पहली बार चूत चोद रहा था, पर वो कई बार चुद चुकी होगी, तो मजा मेरा दुगुना हो गया वो काफी समझ दार थी वो अपने गांड को उठा उठा के चुदवाने लगी, और मैंने भी जवान लंड से पेलने लगा, दोस्तों कुछ देर बाद वो बिलकुल वाइल्ड हो गई और जोर जोर से आह आह आह चोद दे आह आह और जोर से और जोर से आज मेरे चूत को फाड़ दे, आज मुझे रखैल बना ले, और मैं भी गाली देने लगा, साली आज नहीं छोड़ूगा, और मैं भी बहूत ज्यादा वाइल्ड हो गया, मैं उनको घोड़ी बना दिया, और पीछे से चोदने लगा, उनकी बड़ी चौड़ी गांड के पीछे से धक्का लगाने लगा, वो भी हाय हाय उफ़ उफ़ कर रही थी और जोर जोर से चुदवा रही. थी, करीब ये सिलसिला १ घंटे तक चला मैं खूब चोदा फिर मैं झड़ गया, पर दीदी अपने चूत में झड़ने नहीं दो वो मुह में लंड को लेके सारे माल को पि गई और जो मेरे लंड पे लगा था उसको भी अपने जीभ से चाट चाट कर साफ़ कर दी.
दोस्तों मैं उनके यहाँ सात दिन तक रहा, और सात दिन में करीब ३० से ४० बार चुदाई की और करीब पांच से छह बार गांड मार, हम दोनों साथ साथ नहाये, उन सातों दिन, साथ साथ नंगे ही सोते थे, और चुदाई की क्या कहने खूब चोदा, जब जीजा जी और उनका नई बाली माल आ गई तब मैं वापस गया. आपको मेरी ये कहानी कैसी लगी जरूर बताएं, और हां आज मैं आपसे वादा करता हु, की जीजा जी की जो नई माल है उनको भी पटा कर चूत मारूँगा, और कहानी यही पर लिखूंगा, तब तक के लिए धन्यवाद. एन्जॉय करिये और खुश रहिये, आपका प्यारा दोस्त.