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मेरा नाम पिंकी शर्मा है। मैं 19 साल की हूँ सीधी सादी हूँ, पर हुस्न की मल्लिका हूँ। मेरे गोर गोर गाल लाल लाल होठ मदमस्त मेरी चाल और उभरे हुए चूतड़, मध्यम साइज की मस्त चूचियां और पतली कमर किसी को भी दीवाना बना दे। पर मुझे पता नहीं था एक दिन मेरा भाई ही दीवाना हो जाएगा और मुझे चोद देगा।
मैं उदयपुर में रहती हूँ, मेरा भाई कल ही दिल्ली से उदयपुर आया वो दिल्ली में पढता है। मेरे से तीन साल बड़ा है। हम दोनों बहुत ही ज्यादा खुले विचार के हैं हम दोनों भाई बहन की तरह कम बल्कि एक दोस्त की तरह ज्यादा रहते हैं। माँ पापा दोनों ही इंडियन एयरलाइन्स में काम करते हैं। वो दोनों भी घर पर बहुत कम रहते हैं। मैं ज्यादातर अकेली रहती हूँ।
कल की ही बात है हम दोनों भाई बहन खाना खाकर सोने चले गए इस बार मम्मी गलती से अपने ट्रंक (बड़ा बक्सा) का चाभी अपने साथ ही ले चली गई और रजाई और विछावन उसी में होता है। बस मेरे लिए एक रजाई बाहर था। और भाई अचानक ही आ गया था। पर एक पतला कंबल बाहर थे। वो वही लेके सो गया।
मैं रात के करीब दस बजे सेक्सी हिन्दी स्टोरी पर कहानियां पढ़ने लगी। रोज की तरह मैं अपने चूत को सहलाते हुए कहानियां पढ़ी पर कल की कहानी बहुत सेक्सी थी इसलिए जोश में आ गई और मैं अपना ऊपर का कपड़ा उतार दी ब्रा भी खोल दी ताकि अपने चूचियों को सहला सकूँ। और वही कर रही थी मैं अपने चूचियों को सहला कर अपने चूत में ऊँगली कर रही थी और जब मेरी वासना थोड़ी कम हुई तो शांत हो गई और सोने लगी।
तभी मेरा भाई मेरी बेड पर आ गया और फिर मेरी रजाई में घुस गए और बोला मैं भी तुम्हारे साथ ही सोऊंगा क्यों की ठंढ लग रही थी उस कंबल में. पर मैं थोड़ी परेशान हो गई कोण की मैं नंगी थी अंदर। पर अब कुछ कर भी नहीं सकती थी। वो तभी मेरे पीठ पर हाथ रखा तो देखा मेरे बदन पर कपडे नहीं हैं। वो हाथ से सहलाया। मैं सीधी हो गई उसने डायरेक्ट मेरी चूचियों पर हाथ रख दिया। और फिर रख कर हाथ हटा ही नहीं रहा था।
मैं उसका हाथ हटा दी। पर वो फिर से मेरी छाती पर हाथ रखा और इसबार वो दबाने लगा। मेरे जिस्म से वासना की धुआँ निकलने लगा थोड़े ही देर में मुझे अच्छा लगने लगा और मैं टाँगे फैला दी और पेंटी उतार दी। अब वो मेरी चूत को भी सहलाने लगा। अब मेरे मुँह से सिसकारियां निकलने लगी। वो अब मेरे करीब आ कर अपना होठ मेरे होठ पर रख दिया। वो मेरी होठ को चूसने लगा किस करने लगा। मैं अपना जीभ उसके मुँह में घुसा दी। अब तो वो पागल हो गया। वो वाइल्ड होकर मेरी चूचियों को दबाया होठ चूसे और फिर निप्पल मुँह में लेकर वो चूसने लगा।
मैं पागल हो रही थी। जिस्म में घंटियां बजने लगी थी करंट दौड़ रहा था पुरे शरीर में। वो मेरे ऊपर चढ़ गया और ऊपर से जीभ लगाता हुआ चूत तक पहुंचा और फिर चूत को चाटने लगा। मैं मदहोश हो गई थी। मैं अपना पैर अलग कर ली और चटवाने लगी। मैं बार बार चूत में पानी छोड़ रही थी वो अपने जीभ से चाट रह था। मैं सिसकारिआं ले रही थी आह आह आह आह कर रही थी।
तभी वो रजाई हटा दिया और फिर मेरे पैरों को अलग अलग कर अपना लौड़ा चूत में रगड़ा और फिर थोड़ा थूक लगाकर घुसेड़ दिया। मैं कराह उठी तकिये दबोच ली अपना होठ खुद ही काटने लगी दॉंतो से। बार बार मेरे होठ सुख रहे थे। और फिर शुरू हुई मेरी चुदाई। दोस्तों वो मेरी चूचियों को दबोचते हुए चोदने लगा और मैं भी उसको हेल्प करने लगी।
अब दो जिस्म एक जान हो गए थे ऐसा लगा रहा था वो मेरे में समा गया था। लौड़ा अंदर बाहर हो रहा था। हम दोनों एक दूसरे को खुश कर रहे थे। जब वो चूमना चाहता मैं खुद उसे चूमने लगती। जब वो झटके देता मैं भी झटके देती।
दोस्तों इस तरह करीब एक घंटे वो मुझे चोदा फिर हम दोनों ही झड़ गए। और फिर दोनों एक ही रजाई में सो गए। कल से आजतक वो मुझे आठ बार चोद चुका है। अब बस वो मुझे बुला ही रहा है। कह रहा है आज गांड का उद्घाटन करूंगा। जो भी होगा कल फिर बताउंगी। अब जा रही थी हूँ।